trading in the zone in hindi

दोस्तों ट्रैडिंग की दुनिया मे जब भी बात ट्रैडिंग psychology की होती है सबसे पहले नाम trading in the zone का ही आता है इस किताब को mark douglas ने लिखा है हम इस आर्टिकल मे पढ़ेंगे trading in the zone in hindi समरी ।

वैसे तो यह किताब काफी ज्यादा फेमस है पर फिर भी आज तक यह किताब हिन्दी मे नहीं आई है, हमने हिन्दी मे अनुवाद किया है आशा है आपको यह काफी पसंद आएगी ।

अगर आपको पढ़ने का मन कम है और आप पॉडकास्ट सुनना चाहते हैं तो Spotify मे सुनें , विडिओ के जरिए भी देख सकते हैं

trading in the zone in hindi

Chapter 1 trading in the zone in hindi

The Road to success in trading is Fundamental, Technical or Mental analysis ( ट्रैडिंग मे सक्सेस का रास्ते कहा है fundamental , technical या फिर mental अनालीसिस मे ) ?

जब स्टॉक मार्केट के शुरुवाती दिन थे fundamental analysis जा बोल बाला था और हर कोई fundamental analysis किया करते थे और बैलन्स शीट प्रॉफ़िट एण्ड लॉस स्टैट्मन्ट पढ़ जाता था

लेकिन समय के साथ चीजें बदली और लोग fundamental analysis के अलावा भी रास्ते तलाशने लगे और लोगों के चीज समझ आई किसी शेयर के वर्तमान प्राइस को fundamental analysis से नहीं बतया जा सकता है

1970 के बाद से टेक्निकल analysis मे लोगों का रुझान बढ़ गया technical analysis पहले भी था पर 1980 के बाद से लोगों ने सही तवज्जो दिया, technical analysis मे प्राइस के मूवमेंट को पढ़ जाता है और पहले इसके लिए बड़े बड़े कंप्युटर की जरूरत पड़ती थी लेकिन समय के साथ साथ जैसे टेक्नॉलजी आगे बढ़ी इंटरनेट आया लोगों के पास टेक्नॉलजी आसानी से आने लगी तो टेक्निकल अनेलसिस करने वाले लोगों की संख्या मे भारी उछाल आया

Fundament analysis के बाद लोगों मे technical analysis भी किया फिर एक बाद समूह था लोगों का जो अभी भी मार्केट मे फायदा नहीं कर पा रहा था और फिर उसके लोगों मे mental analysis भी शुरू किया जिसे हम psychology भी कहते हैं ।

मार्केट मे लोग सफल क्यों नहीं होते हैं ?

मार्केट मे जो लोग पैसे लगाते हैं वो काफी पढे लिखे सुलझे हुए लोग होते हैं डॉक्टर इंजीनियर और अपने अपने करिअर मे काफी सक्सेस्फल होते हैं इसलिए उनके पास पैसे है पर जब वो मार्केट मे आते हैं तो यहाँ पे पैसे गवां देते है , कई बार टेक्निकल अनालीसिस भी सिख कर आते हैं उसके बावजद नुकसान हो जाता है तो इसका सीधा स कारण होता है वो है मेंटल अनालीसिस

जिस प्रकार के सोच विचार हम नॉर्मल जिंदगी मे रखते हैं वैसे सोच मार्केट मे काम नहीं आती है

ऐसे चीजों को बदलने की कोशिस करना जो बदली नहीं जा सकती है ऐसा करने के प्रभाव बहुत ही खतरनाक हो सकते हैं

जैसे की मार्केट मे रिस्क है और अगर आप रिस्क को नजरंदाज करने की कोशिस करेंगे तो जो प्रभाव होंगे वो भयावह होंगे

मान लीजिए हमने कोई ट्रैड लिया है और वो हमारे खिलाफ जा रही है और इसमे हमारे पैसे जा रहे हैं और पैसे खोने का रिस्क है और इस रिस्क को हम नजरंदाज कर रहे हैं तो इससे हमारा अकाउंट भी खाली हो सकता है

रिस्क को एक्सेप्ट करना एक बहुत बड़ा ट्रैडिंग गुण है

जो दुनिया के बेस्ट traders हैं उनको पता है रिस्क क्या है कैसे लेना है कितना लेना है इसलिए वो सक्सेस्फल हैं ।

जो लोग पैसे गँवाते हैं उसके कुछ कारण है

  • गलत होने के विचार के चलते, हर वक्त ये विचार रखना की मै गलत हु
  • पैसे गँवाने का डर , लॉस होते हुए देखकर पहले ही ट्रैड से exit कर लेना
  • किसी ट्रैड के छूट जाने के भए fomo , इसलिए जल्दी एंट्री कर लेना बिना confirmation के
  • आए हुए पैसे प्रॉफ़िट को चोर देना , ज्यादा के लालच मे कुछ भी न लेना

जो आदमी हर वक्त पाज़िटिव है और मार्केट से प्रॉफ़िट कर रहा है वो इन कारण के कारण

उनका self belief , attitude उनकी विचारधारा कैसी है मार्केट और खुद के प्रति

और मार्केट के प्रति उनका नजरिया कैसे है

आप कितना अच्छे ट्रैडर क्यू न हों कितना भी ज्ञान हो आपके पास मार्केट आपको गलत साबित करेगी ही अर्थात हम हर बार सही नहीं हो सकते हैं इस बात को जो जितना जल्दी समझ लेता है वो उतना ही जल्दी सुककेससफुल बन जाता है

मार्क डगलस साहब कह रहे हैं की कोई भी व्यक्ति अगर पैसे गंवा रहा है है वो इसलिए नहीं की उसे अनालीसिस नहीं आता या फिर उसके knowledge मे कमी है बल्कि इस कारण वो पैसे गंवा रहा है क्युकी वो जो रिस्क है मार्केट मे उसको समझ नहीं रहा है

अगर किसी को successful बनना है वो ये कर सकता है

पहले की वो जितना knowledge इकट्ठा कर सकता है कर ले की मार्केट कभी उसको गलत साबित कर ही न सके , लेकिन मार्क डगलस साहब इस रास्ते को ब्लैक होल की तरह बता रहे हैं की हम जितना सीखना चाहेंगे मार्केट उतना सिखाएगा और ये अनंत है

और दूसरा रास्ता यह है की आपको जितना भी आता है आप उतने से कॉन्फिडेंट रहे और बस मार्केट मे रिस्क है और गलत होने की पूरी गुंजाइस है ,पैसे हार सकते हैं इस बात को अगर स्वीकार कर लेंगे और हर ट्रैड मे सही होने का न सोचे तो बात बन सकती है

जो लोग पैसे बनाते हैं मार्केट से उनके अंदर ये गुण होता है की

वो मार्केट के उतार चड़ाव से बेचैन नहीं होते हैं

जिन लोगों को पता है एक ट्रैड लेने से पहले की कितना हारना है और कितना जितना इसलिए वो लोग बेचैन नहीं होते हैं

फाइनल नोट

मार्केट के शूरवाती समय समय मे fundamental analysis किया गया फिर technical analysis को तवज्जो दिया गया फिर जब इन दोनों के बावजूद नुकसान होने लगे लोगों को तब mental analysis पे फोकस आया और साइकालजी पे भी जोर दिया गया ।

साइकालजी मे इंसानों की behaviour किस परिस्थिति मे लोग कैसे लोग बर्ताव करेंगे इन सब को समझने लगे

Successful ट्रैडर के अंदर बेचैनी नहीं होती क्युकी उसको पता है की अधिकतम कितना नुकसान वो लेने वाला है और कितना मुनाफा करने वाला है

Chapter 2 trading in the zone in hindi

ट्रैडिंग के प्रलोभन और खतरे (The Lure and Dangers of Trading)

प्रलोभन

मार्क डगलस से एक इंटरव्यू मे पुछा गया की मार्केट मे जो लोग भी आते हैं अधिकतर लोग अपने करिअर मे सक्सेस्फल हैं उसके बावजूद भी वो मार्केट मे लॉस करते हैं ऐसे क्यू

मार्क डगलस ने बताया की जो लोग भी मार्केट मे आते हैं वो किसी न किसी प्रलोभन के कारण आते हैं

मार्केट हर एक आदमी को उसकी मर्जी के हिसाब से हर चीज करने की आजादी प्रदान करती है ऐसे आजादी जैसे उसे पहले कभी नहीं मिली है क्युकी बचपन से हर व्यक्ति को सम्पूर्ण आजादी कभी भी नहीं मिलती, मा बाप द्वारा समाज द्वारा अवाम अन्य जगह से की आरे बंधन होते हैं लेकिन मार्केट ही एकमात्र ऐसी जगह है जहा पर कुछ भी करने की पूरी आजादी है ।

खतरे

मार्केट मे बहुत सारे खतरे भी हैं मार्क डगलस बोल रहे हैं की जब बाकी लोग आपसे कुछ और अपेक्षा रखते हैं और आप कुछ करना चाहते हैं तो एक असमंजस वाली स्तिथि होती है ।

उदाहरण के लिए बता रहे हैं की

मान लीजिए कोई व्यक्ति एक ऐसे परिवार मे जन्म लिया है जहा पर सभी लोग खेल खुद मे काफी अच्छे हैं तो लाजमी है की वो व्यक्ति भी प्राकृतिक रूप से खेल कूद मे अच्छा होगा ही क्युकी उसने बचपन से ये सब चीज देखा है , और अगर बाद होकर हो खिलाड़ी न बनना चाहे और और संगीत मे रुचि रखे तो बाकी लोगों से उसको समर्थन काम मिलेगा

क्योंकि उसे ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है इसलिए उसके खुद के मन मे भी ये खयाल आएगा जरूर की मुझे ये करना चाहिए या नहीं और वो इंसान एक असमंजस मे फस जाएगा की किस रास्ते को फॉलो किया जाए खेल कूद वाले रास्ते को जिसमे वो प्राकृतिक रूप से अच्छा है या फिर संगीत जिसमे उसकी रूचि है ।

कभी भी कोई व्यक्ति जब कुछ नया करने की सोचे तो बहुत सारे सवाल लोगों द्वारा कुए जाते हैं और प्रश्न पूछे जाते अक्सर हम ये सब बातें तो सुने ही होंगे –

  • आप ये नहीं कर सकते हैं
  • इसे उस तरीके ने नहीं करना है इसे इस तरीके से करना होता है
  • अभी नहीं बाद मे करेंगे मुझे पहले सोचने दो
  • ये नहीं हो सकता
  • क्यू करना चाहते हो ये सब
  • आपका मन नहीं है फिर भी आपको करना ही पड़ेगा कोई ऑप्शन नहीं है
  • ऐसे बहुत सारी चीज़े हैं जहा पे मन नहीं है फिर भी करना पड़ता है

इसलिए अगर कोई ट्रैडिंग मे भी आना चाहता है तो ऊपर बताए गए खतरे तो होंगे ही और ये सब हमेशा परेशान करते ही रहेंगे, एक बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है की ट्रैडिंग करने के लिए मन अच्छा होने जरूरी है, जन मानसिक स्तिथि अछि होती है तभी ट्रैडिंग के डिसिशन अछे होते हैं ।

अगर किसी को इन खतरों से फरक नहीं पड़ता है तभी उसे आना चाहिए ट्रैडिंग मे ।

The Safeguards ( सुरक्षा )

हमने ये बात समझ लिया है की मार्केट मे हमे हर प्रकार की आजादी मिलती है ऐसी आजादी जैसे हमे पहले कभी नहीं मिली थी

क्योंकि यहाँ पर हमारे लिए पहले से रुल्स नहीं हैं इसलिए हमे खुद को बचाने के लिए रुल्स बनाने होंगे ।

ट्रैडिंग मे जो आजादी हमे मिल रही है उसे वरदान और श्राप दोनों कह सकते हैं

वरदान इस तरह से की इसके इतनी आजादी और कहीं नहीं मिलती और हम खुद के मालिक है

और श्राप इस तरह से की यही आजादी है जिसके वजह से हम गलती करते हैं , और मार्केट मे जीत उसकी होती है जो disciplined है मतलब जो रुल्स फॉलो करता है ।

जिम्मेदारी न लेना

मार्क डगलस कह रहे हैं की जो भी ट्रैडर हैं उन्हे हर चीज की जिम्मेदारी खुद ही लेनी पड़ेगी,

डगलस साहब कह रहे हैं की वो ऐसे कई लोगों से मिल चुके हैं खुद स्टॉक्स ढूंढते हैं अनालीसिस भी करते हैं प्लैनिंग भी करते हैं लेकिन ट्रैड दूसरे के टिप्स पे ले लेते हैं और ऐसे करके वो खुद अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं

क्योंकि दूसरे के टिप्स के हिसाब से ट्रैड लेने पर अगर परिणाम विपरीत या जाए तो इल्जाम लगाने के लिय कोई है उनके पास वो उस हार की जिम्मेदारी खूद नही लेंगे और टिप देने वाले के अपर ताल देंगे ।

ADDICTION OF RANDOM REWARDS ( इनाम का लत )

मार्क डगलस उदाहरण दे रहे हैं की

एक बंदरों को समूह है जिसको रोज कुछ काम के बदले इनाम मिलता है

वही एक दूसरा बंदरों का समूह है जिनको रोज नहीं बल्कि कुछ दिनों के अंतराल मे इनाम मिलता है

पहले समूह को एक दिन काम के बदले इनाम नहीं दिया जाता है तो अगले दिन से उस समूह के बंदर काम करना बंद कर देते हैं

वही दूसरे समूह के बंदर काम करना बंद नहीं करते हैं

इसका करना वह बताते हैं की रोज काम के बदले इनाम देकर उन बंदरों को इनाम का लत लग चुका था और जैसे ही इनाम नहीं मिला वे बेचैन हो गए और काम ही नहीं किए ।

इसी प्रकार से मार्क डगलस कह रहे हैं की ट्रैडिंग मे भी डेली रेवर्ड्स के चक्कर मे नहीं परना है ताकि रिवार्ड नहीं मिलने से भी हम बेचैन न हों और अपना काम करते रहे ।

EXTERAL VS INTERNAL CONTROL ( बाह्य बनाम आंतरिक )

आम जिंदगी मे अगर हमे कुछ चीजें पसंद नहीं या रही है तो हम उस बाह्य वातावरण को बदल देते हैं और खुद के आंतरिक को खुस कर लेते हैं

उदाहरण के लिए अगर बाहर का वातावरण गरम है तो हम ac , पंखे चलकर बाह्य वातावरण बदल कर खुद को प्रसन्न कर लेते हैं ।

लेकिन मार्केट मे ऐसा नहीं होता है यहाँ पर अगर हमे कुछ चाहिए तो हम अपने हिसाब से वो बदलाव नहीं ला सकते हैं , इसलिए ये आम जिंदगी से अलग है , हम यहाँ पर बाह्य वातावरण को बदल नहीं सकते तो हमे खुद को ही बदलना पड़ता है । लेकिन अभी तक हमारी आदत रही है की हम खुद को खुस करने के लिए दूसरों को बदलते रहे हैं ।

Chapter 3 trading in the zone in hindi

Taking responsibility

ट्रैडिंग करते वक्त जो भी अंजाम होगा हर  चीज की जिम्मेदारी लेनी होगी एक सुककेससफुल ट्रैडर हर एक एक्शन की जिम्मेदारी खुद लेता है ।

Shaping your mental environment मानसिक वातावरण को ढांचा देना

अगर हमे सक्सेस्फल ट्रैडर बनना है तो उनकी तरह अपने दिमाग को आकार देना होगा और उसके लिए सबसे जरूरी दो चीजें हैं

सेल्फ belief और attitude

हर एक सक्सेस्फल ट्रैडर बेचैनी , लालच और भए इस सब भावनाओ के अपने आप को दूर रखता है , इन लोगों को चाहे नाफा हो या नुकसान हो इन्हे बेचैनी नहीं होती ।

 अगर कोई नया ट्रैडर है और उसका लगातार प्रॉफ़िट हो रहा है और उसने नुकसान नहीं देखा है तो उसके अंदर भी डर का भाव नहीं आया है लेकिन ऐसे निडर होना उसके लिए अच्छा नहीं है क्योंकि उसने अभी लॉस नुकसान नहीं देखा है और इस निडरता मे वो बहुत गलत एक्शन ले सकता है । इसलिए प्रॉफ़िट और लॉस हर प्रकार का अनुभव होना बेहद जरूरी है उसके बाद ही सही निर्णय लिया जा सकता है ।

जब नए लोगों को कहा जाता है की सक्सेस्फल ट्रैडर को फॉलो करना है तो लोग उसके एक्शन को उसके बर्ताव को वो कैसे काम कर रहे हैं इन सब को देखने के बजाय कितना प्रॉफ़िट कर रहे हैं उसपे ध्यान देते हैं ।

इसलिए जो नए ट्रैडर हैं उन्हे कितना प्रॉफिर हो रहा है उसपे ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि उस प्रॉफ़िट को किए कैसे हैं कितना कंट्रोल मे थे ट्रैडिंग करते वक्त किन कारणों से प्रॉफ़िट हुआ है इन सब चीजों पर ध्यान देना चाहिए ।

अच्छा ऐटिटूड अच्छे अनालीसिस की तुलना मे बेहतर परिणाम देगा ।

ट्रैडिंग करते वक्त निडर होने का मतलब गैर जिम्मेदार होना नहीं है, क्योंकि गैर जिम्मेदारी से ट्रैडिंग करने वाला आदमी होश मे नहीं रहेगा और बड़े बड़े लॉस कर सकता है ।

निडरता से ट्रैडिंग करने का मतलब है की जो रुल्स हैं जो नियम हैं उन सब के होने के बाद ट्रैड लेने मे और ट्रैड लेके बैठने मे निडरता होनी चाहिए ।

Mark Douglas “What makes trading so fascinating and difficult to learn is you really don’t need lot of skill you just need a genuine winning attitude.”

जो चीज ट्रैडिंग को मुश्किल और अचंभित बनती है वो यह है की यह पर बहुत ज्यादा skill की जरूरत नहीं है बल्कि बस एक अछे winner वाला attitude चाहिए ।

Reacting to Losses नुकसान पे कैसे बर्ताव करना है

मार्केट मे नुकसान होना या गलत साबित होना ये तो ऐसी चीज जिससे हम भाग नहीं सकते हैं ये तो होगा ही , लेकिन गलत साबित होने पर या नुकसान करने पर दुख दर्द का अनुभव करना सही नहीं है क्योंकि ये तो निश्चित चीजें हैं

जो मंझे हुए ट्रैडर होते हैं उनको ये चीज़े पता है की ये तो होगा ही इसलिए गलत साबित होने पर या नुकसान करने पर भी उनको दुख दर्द का अनुभव नहीं होता है ।

कोई भी आदमी जब कोई ट्रैड लेता है तो वो प्रॉफ़िट करने का ही सोचता है कभी भी लॉस करना है सोचकर कोई ट्रैड नहीं लेता है

लेकिन लॉस तो निश्चित चीजें हैं उसे टाला नहीं जा सकता है, और जब लॉस होता है तो जो नए और unsuccessful ट्रैडर होते हैं वो दुखी हो जाते हैं लेकिन वही जो सक्सेस्फल ट्रैडर होते हैं वो दुखी नहीं होते हैं

तो इस प्रकार से नुकसान पे कैसे बर्ताव कोई कर रहा है उससे ये निर्धारित होता है की वो आदमी सक्सेस्फल है या नहीं ।

जो लोग ऐसे सोच रखते हैं –

  • खुद को कोशना की मेरे साथ ही ऐसे क्यों होता है ,
  • या पछतावा करना की अगर मै ट्रैड मे होता तो ,
  • अगर पहले exit कर लिया होता तो ,
  • थोड़ी देर और रुक जाता तो 

 तो इस प्रकार के विचार उसको अच्छे ट्रैडिंग डिसिशन लेने मे मदद नहीं करेंगे और ऐसे विचारों के साथ वो अच्छा ट्रैडर नहीं बन सकता है ।

हाँ मार्केट हमसे हमारा पैसा लेना चाहता है लेकिन ऐसे कई मौके आते हैं जब मार्केट फ्री मे पैसे बाँट कर जाता है बस हमे इस बात का खयाल रखना है की जब मार्केट पैसे लूटने के मूड मे है तब काम लूटाना है और जब मार्केट पैसे देने के मूड मे है तब ज्यादा लूटना है ।

बहुत सारे लोग ऐसे सोच रखते हैं

  • मुझे जितना है
  • मै कभी हार नहीं सकता
  • मै गलत नहीं हो सकता
  • मै गलत कसी हो सकता हु

जो ऐसे विचार रखा है उसको बहुत तकलीफ होने वाली है

The root cause of trading problems is perspective not the lack of market knowledge

जो मुख्य कारण है मार्केट की सारी समस्याओं का वो मार्केट के ज्ञान की कमी नहीं है बल्कि नजरिए की है ।

विनर्स लूसर्स बूमर्स और बूस्टर्स

10 % विनर्स

ऐसे लोगों का अकाउंट का ग्राफ अपर की ओर जाता है

प्रॉफ़िट और लॉस दोनों ही करते हैं लेकिन प्रॉफ़िट बाद और लॉस छोटा करते हैं

30-40% लूसर्स

ऐसे लोगों का अकाउंट का ग्राफ नीचे की ओर जाता है

ये लोग भी प्रॉफ़िट और लॉस दोनों करते हैं लेकिन लॉस बड़े और प्रॉफ़िट छोटे

40-50% बूमर्स एण्ड बूस्टर्स

अकाउंट का ग्राफ अपर नीचे ही ही रहता है लेकिन अंत मे ज़ीरो मे ही रहता है

इनके प्रॉफ़िट और लोससेस दोनों होते हैं और हर प्रकार के होते है बड़े प्रॉफ़िट ,बड़े लॉस, छोटे प्रॉफ़िट एण्ड और छोटे लॉस ।

तो देखिए प्रॉफ़िट और लॉस हर प्रकार के लोगों को होते हैं लेकिन जो रिस्क को लॉस को मैनेज करना जानता है वही विनर के सूची मे जाता है ।

कितने भी मार्केट की जानकारी इकठ्ठा कर ले वो चीज मार्केट से पैसे काम के नहीं देगी

जब तक की विनिंग ऐटिटूड नहीं है,नुकसान पे कैसे बर्ताव करना है

ये पता नहीं है तब तक कन्सिस्टन्ट होना मुश्किल है ।

Chapter 4 trading in the zone in hindi

Consistency – A state of Mind

Mark douglas मार्क डगलस कहते हैं की जो सक्सेस फूल ट्रैडर हैं उन्हों जो चीज अलग बनाती है उसका कारण यह बिल्कुल नहीं है

  • की वो क्या करते हैं या कैसे करते हैं

बल्कि उसका कारण यह है की

  • जब कुछ कर रहे हैं तो उस वक्त कैसे सोच रहे हैं, या फिर जब कुछ करने वाले होते हैं तो उसको कैसे सोचते हैं

तो असलियत मे उनके सोचने का तरीका उनको सक्सेसफूल बनाता है ।

इस बात का यकीन करना की मार्केट से पैसे कमाए जा सकते हैं ये लाजमी है क्योंकि आप अपने पुराने किस्से को याद करिए जब आप पहली बार ट्रैड लिए थे तो उस समय मे आपको थोड़ा बहुत तो प्रॉफ़िट हुआ ही होगा, और इसी थोड़े से प्रॉफ़िट ने हमको यह यकीन दिलाया की हाँ मार्केट से तो पैसे कमाए जा सकते हैँ

लेकिन सच मे पैसे कमा पाना इतना भी आसान नहीं है

Thinking about trading

ट्रैडिंग काफी सरल हो सकता है

अपने उन ट्रैड को याद करिए जिस ट्रैड मे आपने प्रॉफ़िट कमाया होगा तो प्रॉफ़िट बड़े आसानी से मिले होंगे तो यही खास बात है की ट्रैडिंग रोमांच से भर हो सकता है ।

अगर आप बाहरी वातावरण मे हो रहे कारण के कारण खुश हैं तो ये सही नहीं है इससे आपको लंबे अवधि तक खुशी नहीं मिल सकती है, हमेशा के लिए खुशी का कारण हमे बाहर नहीं ढूँढना है वो कारण हमारे अंदर ही होना चाहिए । हमारे अंदर का सेल्फ बिलीफ , कान्फिडन्स इन कारणों से हम खुश रहेंगे ।

मार्क डगलस जी का कहना है की जो हमारे बेस्ट ट्रैड होंगे वो काफी सरल होंगे और हमे उन्मे ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होगी

जब हमे जो चाहिए उसे पाने के लिए मार्केट से लड़ाई कर रहे हैं तो इसमें हमे कोई आसानी नहीं होने वाली है, मार्क डगलस जी का कहना है की हमे मार्केट से लड़ाई नहीं करना है बल्कि मार्केट हमे कई सारे मौके देगी प्रॉफ़िट करने के , बस हमारा काम ये है की हमे शांति से उन लम्हों का इंतजार करना है जब मार्केट हमे पैसे बनाने के मौके दे ।

मार्क डगलस जी कह रहे हैं की जो हमे मार्केट से चाहिए उसे पाने के लिए जब हम मार्केट से लड़ाई करते हैं और उस लड़ाई मे हार जाते हैं तो हमे दर्द होता है मतलब नुकसान होता है और अगर इस नुकसान को हम एक्सेप्ट नहीं करते हैं तो वो हमे जयद दुख दर्द देते हैं मतलब ज्यादा बड़े लॉस देते हैं, और ये लॉस ये गलतियाँ हमारे भीतर भए पैदा करती है ।

अगर प्रॉफ़ितबल होना है तो इस डर को हमारे दिमाग से हटाना पड़ेगा , अब डर को हताएंगे कैसे तो इसका सरल स उपाय है लोसेस को एक्सेप्ट करके ।

लोसेस को एक्सेप्ट करना बेहद जरूरी है, एक्सेप्ट करने का मतलब होता है जब भी हमे लॉस हो तो बिना किसी रिग्रेट के पछतावे के लॉस को बुक करना और इस बात को दिमाग मे बैठ के रखना की लॉस हो या प्रॉफ़िट ये दोनों ट्रैडिंग गेम का हिस्सा है जिस दिन लॉस को एक्सेप्ट करना सिख गए उस दिन हम प्रॉफ़िट करना सिख जाएंगे ।

Aligining your mental environment

अगर प्राफिटबल ट्रैडर की सूची मे आना है तो उनके तरह मानसिक वातावरण बनाना पड़ेगा, जिस प्रकार से सक्सेस्फल ट्रैडर फ़ियरलेसस होते हैं वैसे बनना पड़ेगा

उदाहरण देते हुए बता रहे हैं की जैसे एक कंप्युटर कोड मे अगर कुछ एरर है तो काफी मेहनत करने के बाफ पता लगता है की जो समस्या है वो एक दो अक्षर के कारण ही हो रही है जैसे उन अक्षरों को सही करते हैं परेशानी सही हो जाती है

उसी प्रकार से अगर ट्रैडिंग मे प्राफिटबल बनना है तो परेशानी बहुत ही चोटी सी है की हमे अपने mental environment को सही करना है हमे ट्रैडिंग माइन्ड्सेट डिवेलप करना है जैसे हम इस बात को समझ जाते हैं हमारी परेशानी सुलझ जाएगी ।

एक उदाहरण –

मार्क डगलस उदाहरण दे रहे हैं की ल्यूक नाम का एक चोर था तो एक कॉलेज से दो बार चोरी करके पकड़ा चुका था और भागने मे सफल भी हो गया था , जब तीसरी बार वो पकड़ाया तो उसे बोला गया की भागने की कोशिश नहीं करना है अगर किया तो शूट कर दिया जाएगा ।

लेकिन ल्यूक नहीं माना और भागने किस कोशिश करता है और वो मारा जाता है , उसी प्रकार से मार्केट मे अगर लॉस हो रहा है किसी ट्रैड मे तो डर के भागने के जरूरत नहीं है बल्कि हार मानके मार्केट के सामने सरेंडर कर देना है , अगर सरेंडर नहीं करते हैं है मार्केट हमे बहुत

CONCLUSION –

मार्केट मे बहुत सारे सरल और आसान रास्ते हैं पैसे बनाने के लेकिन सबसे पहले आपको अपने दिमाग को सही करना पड़ेगा और ट्रेडिंग माइन्ड्सेट बनाना पड़ेगा ।

Chapter 5 trading in the zone in hindi

Dynamics of perception

मार्क डगलस कहते हैं की मार्केट हमे सिर्फ इनफार्मेशन देती है लेकिन लोगों का जब लॉस होता है तो वो कैट हैं की मार्केट मेरे साथ ही ऐसा क्यू करती है मुझ ही लॉस क्यू देती है लेकिन आप ही समझिए मार्केट मे आपका असतीतव्य है ही क्या हमे लूट के मार्केट को कुछ हासिल होने वाला नहीं है इसलिए इस सोच को हटा दीजिए की मार्केट हमे दुख दर्द देने वाली है ।

जो सक्सेसफुल ट्रैडर हैं वो इनफार्मेशन को सिर्फ इनफार्मेशन की तरह ही देखते हैं और अगर उसमे उन्हे कुछ ट्रैड लेने का मौका मिलता है तो लेते हैं ।

Debugging mental software

मार्क डगलस कह रहे हैं की हमारे दिमाग मे कुछ ऐसी चीज हैं जिन्हे हमे सही करने की जरूरत है

जो भी ऐसे सोच हमरे अंदर negative emotions

ट्रैडिंग किसी opportunity का पीछा करने से शुरू होती है और अगर आप किसी opportunity का पीछा नहीं कर रहे हैं मतलब आप कुछ गलत कर रहे हैं

जो भी इनफार्मेशन होती है वो एक प्रकार की एनर्जी है इसको हम स्ट्रक्चर्ड एनर्जी कहते है जो कोई फिज़िकल space जगह नहीं लेती है

इसका मतलब अगर कोई चीज जगह से नहीं ले रही है तो उसका कोई दायरा नहीं है इसलिए हमारे दिमाग मे अनलिमिटेड इनफार्मेशन समा सक्ति है ।

Perception and learning  

हमारे दिमाग के storage capacity और learning capacity के बीच तुलना नहीं हो सकता है हमारा दिमाग अनंत चीजों को store करने मे सक्षम है लेकिन हर एक आदमी की सीखने की छमता अलग है

वो कहते हैं की ये दुनिया हमे हर बार एक ही जैसे इनफार्मेशन देगी उतना ही देगी लेकिन हम उससे कितना ज्ञान ले पाएंगे वो निर्भर करता है की हमने कितना सिख रखा है

वो कहते हैं की मार्केट मे जो चार्ट हमे दिखते हैं वो सैम हैं लेकिन हमे कितना ज्ञान है उसके हिसाब हर इंसान अलग अलग चीज़े देख पाएगा

एक ही चार्ट से एक 10 साल का अनुभव रखने वाला ट्रैडर बहुत कुछ देख सकता है वही 1 साल का अनुभव रखने वाला काम चीजों को देख पाएगा और वही जिसको चार्ट देखना ही नहीं आता उसके लिए वो सिर्फ लाइन और candle है ।

जब आप पहली बार चार्ट देखे तब आपको कुछ नहीं आता है बहुत कुछ सीखने के बाद जब आप चार्ट देखेंगे तो अब काफी चीज़े आती है

लेकिन अब समस्या कुछ और ही अब क्युकी आपको कुछ यान है जिसके वजह से जब भी आप चार्ट को देखते को देखते हैं तो वो चीजें दिखती है लेकिन जितना आपको चार्ट मे दिख रहा है उतना ही नहीं बल्कि उसमे और भी चीजें है जो आपके लिए invisble है क्योंकि आपने वो चीज नहीं सीखा है और अब उसे सीखना एक बाद challenge है

People see what they have learnt to see and everything else is invisble until they learn how to counteract the energy that blocks their awareness of whatever is unlearnt and waiting to be discovered .

मार्केट मे चार्ट के उदाहरण से समझते हैं Mark douglas कहते हैं की हमे स्टॉक के चार्ट मे उतना ही दिखेगा जितना हमने सीखा है और बाकी चीजें हमारे लिए अदृश्य है जब तक हम नई चीजों को सीखने न देने वाली चीजों से लड़े न ।

Example –

कोई बच्चा है उसने आज तक कभी कुत्ते dog देखे नहीं है, इसलिए पहली बार मे दिमाग को पता ही नहीं है की क्या इनफार्मेशन उसे देना है । इस बार कुत्ते dog के साथ बच्चे का बहुत ही बुरा experience था और कुत्ते ने उसे काट लिया ।

अब जब भी वो बच्चा कुत्ते को देखेगा तो उसका दिमाग सिर्फ एक ही इनफार्मेशन देगा की कुत्ते काटने वाले होते हैं ।

बच्चा पार्क से गुजर रहा है तभी वहाँ बच्चे कुत्तों से साथ खेलते हुए दिखते हैं, बाछा परेशान होजाता है क्योंकि उसका सिर्फ यही पता है की कुत्ते काटते हैं तो नई चीज कैसे हो रही है ।

लेकिन ऐसा नहीं है “ये दुनिया हमे हर बार एक ही जैसे इनफार्मेशन देगी उतना ही देगी लेकिन हम उससे कितना ज्ञान ले पाएंगे वो निर्भर करता है की हमने कितना सिख रखा है” । 

The power of association

हमारे दिमाग मे ऐसे शक्ति है की उसको अगर ऐसे किसी भी चीज की जानकारी पहले से है तो जब भी अगली बार उससे मिलती जुलती चीज़े उसे दिखेगी तो अपना दिमाग उस जानकारी को हमारे सामने रख देगा ।

ऊपर वाला ही उदाहरण ले रहे हैं मान लीजिए वो बच्चा अगली बार किसी कुत्ते dog को देख रहा है तो उसे देखते ही पुराना experience याद आएगा और वो समझेगा की कुत्ता उसे काटने या रहा है, लेकिन इस बार वाला कुत्ता positive है वो सिर्फ खेलने के लिए या रहा है लेकिन क्योंकि बच्चे ने आज तक ऐसे अनुभव नहीं किया है इसलिए उसके पास ये जानकारी उपलब्ध है ही नहीं की कुत्ते अच्छे भी हो सकते हैं । और उनके साथ खेल भी सकते हैं ।

Conclusion

मार्केट हमारे सामने सिर्फ इनफार्मेशन रहती हैं उसे हम किस प्रकार से देखेंगे ये निर्भर करता है हमारे नालिज पर ।

एक ही चार्ट मे 1 साल अनुभव रखने वाले को अलग चीज़े दिखेंगी 10 साल अनुभव रखने वाले को अलग चीज़े दिखेंगी, हमे उतना ही दिखेगा जितना हमे आता है

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